1. आवर्ती काल भी वहाँ पर है हमारी कहानियों में।2. आवर्ती काल की परिकल्पना पश्चिम के लिए अत्यन्त कठिन रही है।3. साधारण जीवन में प्रचलित दूसरे प्रतीक भी आवर्ती काल को मानकर चलते हैं। 4. एक ओर आवर्ती काल का बोध है, दूसरी ओर एकान्त ऐतिहासिकता का भी। 5. आवर्ती काल की परिकल्पना धार्मिक सन्दर्भ से रहित होकर भी तोषप्रद हो सकती है।6. पूर्वी देशों की कहानियों में ही आवर्ती काल का उल्लेख है, पश्चिम की नहीं। 7. “प्रतीक अपने में एक स्वत: प्रमाण दुनिया है।” भारत के आवर्ती काल का चिन्तन पश्चिम वालों के पल्ले नहीं पड़ता। 8. काल की यह नाप, जिसमें प्रत्यावर्तन की गुंजाइश है, प्रकारान्तर से आवर्ती काल को स्वीकार करती हुई चलती है: 9. आवर्ती काल के बोध के साथ हमारी भाषा में एक लचीलापन था, जिसे छोड़ने को हम लाचार हो गए-एक निर्विकल्प अन्विति से तनिक सा व्यतिक्रम हमें खटकने लगा...10. ‘ नया ' काल-बोध न कहकर हम यह भी कह सकते हैं कि निरवधि और आवर्ती काल के बदले एक सावधि और ऋजुरेखानुसारी काल की परिकल्पना हमारे सामने उपस्थित हो गयी।